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इतनी मुद्दत बाद मिले हो...














इतनी मुद्दत बाद मिले हो
किन सोंचों में गुम रहते हो

तेज़ हवा ने मुझसे पूछा
रेत पे क्या लिखते रहते हो

कौन सी बात है तुम में ऐसी
इतने अच्छे क्यों लगते हो

हम से न पूछो हिज्र के किस्से
अपनी कहो अब तुम कैसे हो...

ढूँढा बहुत मैंने साजनवा तोरा डेरा...




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