Header Ads

तेरी बेपर्दा निगाहों का निशाना बन के..
















तेरी बेपर्दा निगाहों का निशाना बन के
खुद से झगड़ा हूँ बहुत तेरा दीवाना बन के

मुझे इस तरह से न देख तेरी ज़ुल्फ़ों की क़सम
फिर न रह पाउँगा मैं तुझसे बेगाना बन के

नींद आँखों के दरीचे से तो है दूर मगर
ख्वाब आते हैं फिर सोने का बहाना बन के

ये तलातुम तेरी उल्फत का मेरे दिल में तो है
ख़तम हो जाये न ये किस्सा फ़साना बन के

इस क़दर चाहना उसको न रास आया 'मोहसिन'
वो मेरे पास से गुज़रा है बेगाना बन के...

ढूँढा बहुत मैंने साजनवा तोरा डेरा...

सोचता हूँ के तुझे हाथ लगा कर देखूँ..

No comments