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ये बारिशें भी तुम सी हैं..

















ये बारिशें भी तुम सी हैं
जो बरस गईं तो बहार हैं
जो ठहर गईं तो क़रार हैं
ये बारिशें भी तुम सी हैं

कभी आ गईं युँही बे-सबब
कभी छा गईं युँही रोज़-व-शब
कभी शोर हैं, कभी चुप सी हैं
ये बारिशें भी तुम सी हैं

रात को एक दबी हुई सी राख हो
कभी युँ हुआ के बुझा दिया
कभी खुद को खुद से जला दिया
ये बारिशें भी तुम सी हैं

कहीं बूँद-बूँद में गुम सी हैं
ये बारिशें भी तुम सी हैं...
चढ़ता यौवन..

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