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कितनी पी कैसे कटी रात मुझे होश नहीं

http://ghazal143.blogspot.com/2016/10/Kitni-pee-kase-kati-raat-mujhe-hosh-nahi.html


कितनी पी कैसे कटी रात मुझे होश नहीं
रात के साथ गई बात मुझे होश नहीं


मुझको ये भी नहीं मालूम कि जाना है कहाँ
थाम ले कोई मेरा हाथ मुझे होश नहीं 


आँसुओं और शराबों में गुजारी है हयात
मैं ने कब देखी थी बरसात मुझे होश नहीं


जाने क्या टूटा है पैमाना कि दिल है मेरा
बिखरे-बिखरे हैं खयालात मुझे होश नहीं,.