Header Ads

हुस्न पर जब कभी शबाब आया..

http://ghazal143.blogspot.com/2017/03/husn-par-jab-kabhi-shabab-aaya.html


हुस्न पर जब कभी शबाब आया

सारी दुनिया में इंक़लाब आया


मेरा ख़त ही जो तूने लौटाया

लोग समझे तेरा जवाब आया


उम्र तिफली में जब ये आलम है

मार डालोगे जब शबाब आया



तेरी महफ़िल में सुकून मिलता है 

इसलिए मैं भी बार बार आया


तू गुज़ारेगी ज़िंदगी कैसे 

सोच कर फिर से मैं चला आया


ग़म की निस्बत न पूछिए हमसे

अपने हिस्से में बेहिसाब आया..