ये उंगलियां..
जब नाम तेरा प्यार से लिखती हैं उंगलियां
मेरी तरफ ज़माने की उठती हैं उंगलियां
दामन सनम का हाथ में आया था इक पल
दिन रात उस इक पल से महकती हैं उंगलियां
जिस दिन से दूर हो गए उस दिन से ऐ सनम
बस दिन तुम्हारे आने के गिनती हैं उंगलियां
पत्थर तराश कर ना बना ताज एक नया
फ़नकार की ज़माने में कटती है उंगलियां..
तो मैं याद आऊँगा...
मोहब्बत मोहब्बत..
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