इंतहा आज इश्क़ की कर दी आपके नाम ज़िन्दगी कर दी था अँधेरा ग़रीब ख़ाने में आपने आ के रौशनी कर दी देने वाले ने उनको हुस्न दिया और अता मुझको आशिक़ी कर दी तुमने ज़ुल्फ़ों को रुख़ पे बिखरा कर शाम रंगीन और भी कर दी..
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