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अपने होंठों के ये थिरकते जाम पिलाकर-Apne Honthon ke Thirakte Jaam Pilakar..

http://ghazal143.blogspot.com/2016/10/apne-honthon-ke-thirakte-jaam-pilakar.html


कभी कुछ इस तरह भी मेरे साथ खास कीजिये
आप हमें दिल से बेइंतेहा प्यार कीजिये

हम ही करते हैं पहल चाहत की गुफ़्तगू की
मोहब्बत की कभी आप भी तो शुरुआत कीजिये

ख्वाबों में आ कर रोज़ चूम लेते हो आप हमें
कभी हकीकत में भी हम पर ऐसी बरसात कीजिये

हर शाम तन्हा और मायूस गुज़रती है आप बिन
कभी खुशनुमा शाम में भी अपना साथ दीजिये

हम ही करते हैं हरदम अपनी चाहत का ऐलान
कभी आप भी तो सरे आम चाहत की बात कीजिये

आइये आ कर बाँहों में मेरी सिमट जाइये
कभी यूँ भी मुझे अपनी चाहत से आबाद कीजिये

अपनी निगाहों से यूँ तीखे बाण चलाकर
मेरे दिल की न यूँ सनम हालत ख़राब कीजिये

अपने होंठों के ये थिरकते जाम पिलाकर
कभी तो अपने इस दीवाने को बेहाल कीजिये..

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