अपने होंठों के ये थिरकते जाम पिलाकर-Apne Honthon ke Thirakte Jaam Pilakar..
कभी कुछ इस तरह भी मेरे साथ खास कीजिये
आप हमें दिल से बेइंतेहा प्यार कीजिये
हम ही करते हैं पहल चाहत की गुफ़्तगू की
मोहब्बत की कभी आप भी तो शुरुआत कीजिये
ख्वाबों में आ कर रोज़ चूम लेते हो आप हमें
कभी हकीकत में भी हम पर ऐसी बरसात कीजिये
हर शाम तन्हा और मायूस गुज़रती है आप बिन
कभी खुशनुमा शाम में भी अपना साथ दीजिये
हम ही करते हैं हरदम अपनी चाहत का ऐलान
कभी आप भी तो सरे आम चाहत की बात कीजिये
आइये आ कर बाँहों में मेरी सिमट जाइये
कभी यूँ भी मुझे अपनी चाहत से आबाद कीजिये
अपनी निगाहों से यूँ तीखे बाण चलाकर
मेरे दिल की न यूँ सनम हालत ख़राब कीजिये
अपने होंठों के ये थिरकते जाम पिलाकर
कभी तो अपने इस दीवाने को बेहाल कीजिये..
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