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गीले बालों को उसने झटका यूँ सलीके से...
















गीले बालों को उसने झटका यूँ सलीके से ,
सुलगते अरमानों पे पड़ गए ठंडे छींटें से।

संगमरमरी बदन पे डाले उसने जो मलमली कपड़े,
देखा है उसको आज हर शख्स ने अलग तरीके  से।

गुजरा है वो यहाँ से हर चीज़ गवाही देती है,
वीरान सड़कें, उजड़े गुलशन ये गुल फीके से।

सदाबहार किसको कहते हैं हमने जाना, जबसे देखे ,
ऊँचा कद, पतली गरदन, चढ़ता यौवन, नैन-नक्श तीखे से।

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