सियासत तुझसे मेरी दुश्मनी कोई नहीं लेकिन..
ख़फ़ा होना तेरा ऐ गुल-बदन अच्छा नहीं लगता
तेरे बिन फूल ख़ुश्बू क्या चमन अच्छा नहीं लगता,
तेरे बिन फूल ख़ुश्बू क्या चमन अच्छा नहीं लगता,
सियासत तुझसे मेरी दुश्मनी कोई नहीं लेकिन
मुझे नफ़रत भरा तेरा चलन अच्छा नहीं लगता,
मुझे नफ़रत भरा तेरा चलन अच्छा नहीं लगता,
भले वो लाख गंगा में नहाया हो मगर मुझको,
किसी क़ातिल के हाथों में वतन अच्छा नहीं लगता,
किसी क़ातिल के हाथों में वतन अच्छा नहीं लगता,
पड़ी है इसलिए नंगे बदन फ़िरऔन की मय्यत
कि इबरत के लिए उस पर क़फ़न अच्छा नहीं लगता,
कि इबरत के लिए उस पर क़फ़न अच्छा नहीं लगता,
हमें आदत है अपने गाँव में ताज़ा हवाओं की
तुम्हारे शहर का वातावरण अच्छा नहीं लगता...
तुम्हारे शहर का वातावरण अच्छा नहीं लगता...
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