दिखावे में वफ़ादारी है लेकिन..
कहेंगे कल कि हम पछता रहे हैं
मुझे इस वक़्त जो ठुकरा रहे हैं
दिखावे में वफ़ादारी है लेकिन
घुटालों से वतन को खा रहे हैं
घुटालों से वतन को खा रहे हैं
वो मेरी जान ही ले लेंगे शायद
मुझे इस तरह जो तड़पा रहे हैं
मुझे इस तरह जो तड़पा रहे हैं
चली मेरे चरागों को बुझाने
हवा के पाँव उखड़े जा रहे हैं
हवा के पाँव उखड़े जा रहे हैं
सलीके से बड़ों से बात करिये,
बुरा मत मानिये समझा रहे हैं,
बुरा मत मानिये समझा रहे हैं,
हया की ओढ़नी जबसे हटी है
सनम नज़रों से गिरते जा रहे हैं,
सनम नज़रों से गिरते जा रहे हैं,
अदब से बैठ जाएँ बे-अदब भी
कि अब महफ़िल में मन्ज़र आ रहे हैं
कि अब महफ़िल में मन्ज़र आ रहे हैं
By:-Siraj Manzar Kakorvi
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