तो मैं याद आऊँगा...
जब कभी वो होगा अपनी जात में तन्हा
तो मैं याद आऊँगा
न चला कदम से कदम कोई
तो मैं याद आऊँगा
मैं उसकी आँखों का इशारा भी समझ लेता हूँ
न समझ सका कोई दिल की बात
तो मैं याद आऊँगा
दिन का हर एक पल गुज़रेगा जब उस पर कठिन
और तन्हा कटेगी रात
तो मैं याद आऊँगा
हर बाज़ी जान कर हार जाता हूँ
जब देगा उसे कोई हार
तो मैं याद आऊँगा
हंसने को तो दुनिया भी हंसती है साथ-साथ
न दुःख में साथ
तो मैं याद आऊँगा...
फिर आज कोई ग़ज़ल तेरे नाम हो जाये...
क्यों सुकूँ मिलता नही इस ज़माने में...
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