आज रूह को रूह में समां जाने दो..
बाँहों में तेरी आज बिखर जाने दो
महकी सांसों में मुझे उतर जाने दो
शौख़ नज़रों को शर्म आती है
थरथराते लब को लब से सील जाने दो
बिखरे हुए गेसूं , बिखरा हुआ काजल है
आज रूह को रूह में समां जाने दो
रात थोड़े अरमान दिल में बाकी हैं
आज बाँहों में तेरी रात कट जाने दो...
ये इश्क दीवाना तेरा..
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