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वो अपने चेहरे में सौ आफताब रखते हैं..












वो अपने चेहरे में सौ आफताब रखते हैं
इसीलिये तो वो रुख पे नक़ाब रखते हैं

वो पास बैठे तो आती है दिलरुबा खुशबू
वो अपने होंठों पे खिलते गुलाब रखते हैं

हर एक वर्क़ में तुम ही तुम हो जान-ए-महबूबी
हम अपने दिल की कुछ ऐसी किताब रखते हैं

जहान-ए-ईश्क़ में सोहनी कहीं दिखाई दे
हम अपनी आँख में कितने चिनाब रखते हैं..

ये बारिशें भी तुम सी हैं..



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