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बरसात तो हुई मगर सावन नहीं आया















बरसात तो हुई मगर सावन नहीं आया
अब के बरस भी लौट के साजन नहीं आया

मेरी आँखों में छुपा है तेरा ही उजाला
दिल में रहा चाँद, मेरे आँगन नहीं आया

तुमसे जो मोहब्बत की तो दुनिया भी छोड़ दी
और तू भी कभी थाम ने दामन नहीं आया

मेरी मौत भी बेबस है आ के तेरे दर पे
ये जान कह रही है कि जानम नहीं आया..

ये इश्क दीवाना तेरा..

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