ढूँढा बहुत मैंने साजनवा तोरा डेरा...
ढूँढा बहुत मैंने साजनवा तोरा डेरा
पूछा भी हर एक से, ख़त भी कई लिख दिए
देता नहीं कोई भी आ के पता तेरा
अपने अपने पी के साथ
करती हैं सब सखियाँ बात
मौसम-ए-बरसात में कोई नहीं मेरा
काली घटा से पिया, डर पे है एक तो जिया
दुजे तेरी याद ने सेजों पे आ घेरा
याद है वादा पिया तुमने जो मुझसे किया
एक भी तुमने मोहसिन न घर का किया फेरा...
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